मुमुक्षु Poem by Jaideep Joshi

मुमुक्षु

मोक्ष है सृष्टि के कण-कण में।
मोक्ष है जीवन के प्रतिक्षण में।।

मोक्ष है वायु के हर श्वास में।
मोक्ष है भोजन के हर ग्रास में।।

मोक्ष है दैनिक कर्मों के स्पंदन में।
मोक्ष है संबंधों के स्वैच्छिक बंधन में।।

मोक्ष है कर्तव्यों के अनासक्त संधान में।
मोक्ष है नित्य समस्याओं के निदान में।।

मोक्ष लक्ष्य नहीं अपितु एक स्वलक्षित यात्रा है।

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