उम्मीदों की छलांग Poem by Vivek Tiwari

उम्मीदों की छलांग

Rating: 5.0

आशाओं के पंख पे चढ़कर
उम्मीदों की एक छलांग,
चल भर ले तू आज परिंदे
सुबह की पहली किरण के साथ।
सूरज की तपती गर्मी में
आसमान से तोड़ के लाना
ताज लगा एक स्वर्णिम तारा
शाम की ढलती किरण के साथ।।

उम्मीदों की छलांग
COMMENTS OF THE POEM
Varsha M 09 June 2021

Khoobsurat. Chalo chalang lagaye...

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M Asim Nehal 09 June 2021

Bahut khoob, Josh se bhari kavita.5****

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Vivek Tiwari

Vivek Tiwari

Gaura (R.S.) Pratapgarh
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