तुम Poem by Lalit Kaira

तुम

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यूँ लगता है
कि एक सदी भर धुंध है
और
और उस के बीच तुम्हारा अक्स
वो दिये सी रोशन आँखे
जो कहती थी
हमेशा एक ही बात
'मेरी हँसी असल में
तुम्हारी हँसी है'
और लोग कहते हैं
वो इतराता फिरता है..! ! ! !

Wednesday, July 16, 2014
Topic(s) of this poem: love
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Lalit Kaira

Lalit Kaira

Binta, India
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