छौने सी उछलती
नन्ही चुलबुली लड़की
उसकी कुलांचे देखकर लगता है
कि ये ब्रह्माण्ड,
जिसे सब निस्सीम कहते हैं
छोटा पड़ जाएगा।
उसके चेहरे की खुशी
मानो
मानो सबको अपने आगोश में ले लेगी
हर कोने में
हर जर्रे में
खुशियाँ ही खुशियाँ बिखर जाएंगी
और सच कहता हूँ
वो छोटा हरा पहाड़ स्वर्ग का बगीचा बन गया है
और वो पतली नदी
...अमृत का दरिया
इस छोटे कालांश में
न जाने कितने कल्प बीत गए है और मैं काल
की
तेज रफ्तार से भूत-भविष्य-वर्तमान
की परिक्रमा कर रहा हूँ|
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