ये ज़िन्दगी इतनी सी Poem by Anubha jain

ये ज़िन्दगी इतनी सी

ये ज़िन्दगी इतनी सी,
एक कहानी जितनी सी,

हंसते मुस्कुराते कुछ पल,
और अश्क दे जाती कुछ यादें
डरो तो पहाड़ सी हैं मुश्किलें
सोचो तो बेमानी सी कुछ बातें

सच झूट, गलत सही का लेखा जोखा,
अड़ जाओ तो, दुश्मनी ज़िन्दगी का मकसद,
मुस्कुरा दो तो, सिर्फ नज़रों का धोखा

जीवन का दस्तूर यही है,
जो मान लो सच वही है,
विश्वास हो खुद पे तो तेरा हक़ तेरे पास है,
न हो तोह, नसीब की आस है

खुशियाँ तेरी इतनी सी
जी पाये तू ज़िन्दगी जितनी सी

Thursday, April 23, 2015
Topic(s) of this poem: life
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success