घर की रौनक़ शान है बेटी ………ममता की पहचान है बेटी Poem by NADIR HASNAIN

घर की रौनक़ शान है बेटी ………ममता की पहचान है बेटी

(बेटी)
घर की रौनक़ शान है बेटी ………ममता की पहचान है बेटी
उसी कोख से बेटा जन्मा……………मां की ही संतान है बेटी


दिल की धड़कन जान है बेटी……एक मुखलिस इंसान है बेटी
माँ की ममता बहन की राखी……प्यार की देवी आन है बेटी


ग़फलत है बेजान है बेटी………….हक़ देदो बलवान है बेटी
मदरटरेसा इंद्रा गाँधी ……………..सुनीता मैरिकोम है बेटी


दहशत से हैरान है बेटी ………… घर में ही मेहमान है बेटी
जन्म से पहले बाद जन्म के……क्यों होती कुर्बान है बेटी


कुदरत का इहसान है बेटी ………खुश्यों का पैग़ाम है बेटी
क़सम तुझे है भारत माँ की……इज्ज़त दो सम्मान है बेटी

नादिर हसनैन (नादिर)

घर की रौनक़ शान है बेटी ………ममता की पहचान है बेटी
Saturday, August 8, 2015
Topic(s) of this poem: love and life
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 02 July 2017

परिवार व समाज में बेटी या उस हवाले से नारी के सम्मान को ले कर यह एक खुबसूरत कविता है. सामयिक महत्त्व की रचना. दहशत से हैरान है बेटी ………… घर में ही मेहमान है बेटी जन्म से पहले बाद जन्म के……क्यों होती कुर्बान है बेटी क़सम तुझे है भारत माँ की……इज्ज़त दो सम्मान है बेटी

1 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success