आँगन मेरा
शनिवार, १ सितंबर २०१८
सुन लो अरज हमारी
तुम हो मनोहर मुरलीधारी
जीवन में छायी रात अँधेरी
प्रभु क्यों कर रहे हो देरी?
ना मांगू में सोना-चाँदी
बस हो गया हूँ आपका आदी
सुमिरन करना मेरी आदत
करते रहना आपकी अबादत्त।
सूना पड़ा है आँगन मेरा
दे दो प्रभु अब दर्शन अनेरा
जीवन में रही नहीं कोई आशा
बस एक ही है मन में अभिलाषा।
ढूंढा मैंने आपको यहाँ वहां
पर आपका तो है सारा जहां
आशा मेरी पूर्ण कर दो
सपने में भी दर्शन दे दो।
सामने छाया है अन्धेरा
अब तो आनेवाला है सवेरा
ऐसा ना हो की के मैं चल जाऊं
मन की बात किसी को ना बता पाऊँ।
हसमुख अमथालाल मेहता
चित्र: नमिष अरोरा
Sanjay Pansare Very nice sir 1 Manage Like · Reply · 1h
welcome sanjay pansare 1 Manage Like · Reply · 1m
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Tarun H. Mehta Very nice 1 Manage Like · Reply · 42m
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सामने छाया है अन्धेरा अब तो आनेवाला है सवेरा ऐसा ना हो की के मैं चल जाऊं मन की बात किसी को ना बता पाऊँ। हसमुख अमथालाल मेहता चित्र: नमिष अरोरा