अन्तर्मन से खोजो Antarman Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

अन्तर्मन से खोजो Antarman

Rating: 5.0

अन्तर्मन से खोजो

Saturday, April 21,2018
7: 02 AM


कोई शिकायत नहीं आपकी शख्सियत से
आपकी पुष्प जैसी नजाकत से
आपकी किस चीज के हम वखान करे?
आप आई ही हो हमारे लिए।

देवी कप देखना होता है तो हम माँको देखते है
करुणा को देखना है तो, हम बहन को देखते है
पत्नी में हमशौर्य और महानता के दर्शन करते है
नारी में हम सर्वत्र कुछ ना कुछ अलग से देखते है।

आप सद्दा हमारी खिदमत में रहते है
कितना भी दुःख आ जाए, आप सेह लेते है
आप अपने सब सुख छोड़के, त्याग की मूर्ति बन जाते हो
कहने के लिए कोई भी, शब्द नहीं छोड़ जाए हो

ऐसी त्यागमय नारी की हम क्यों अवहेलना करते है?
सरेआम उसकी इज्जत की धज्जिया उड़ाते है
अपनी बहन की रक्षा के लिए, दूसरे की जान तक ले लेते हो
फिर दूसरेकी माँ-बहन के लिए, आप जानवर क्यों बन जाते हो?

वो ही नारी है,बस रूप अलग अलग है
कभी आपको उसमे दैवी नजर आती है
कभी आप माँ के दर्शन कर लेते हो
समय आने पर, आप घुटने भी टेक देते हो।

समय का तकाजा है
पर आप आमादा है
मान लेना और देना भी शिखो
अपने आप को अंतर्मन से खोजो।

अन्तर्मन से खोजो Antarman
Friday, April 20, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 21 April 2018

S.r. Chandrslekha Nicely penned poem. 1 Manage Like · Reply · 1m

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 April 2018

Wow. Beautifully you have described different position of a woman in life

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 April 2018

समय का तकाजा है पर आप आमादा है मान लेना और देना भी शिखो अपने आप को अंतर्मन से खोजो।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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