अन्तर्मन से खोजो
Saturday, April 21,2018
7: 02 AM
कोई शिकायत नहीं आपकी शख्सियत से
आपकी पुष्प जैसी नजाकत से
आपकी किस चीज के हम वखान करे?
आप आई ही हो हमारे लिए।
देवी कप देखना होता है तो हम माँको देखते है
करुणा को देखना है तो, हम बहन को देखते है
पत्नी में हमशौर्य और महानता के दर्शन करते है
नारी में हम सर्वत्र कुछ ना कुछ अलग से देखते है।
आप सद्दा हमारी खिदमत में रहते है
कितना भी दुःख आ जाए, आप सेह लेते है
आप अपने सब सुख छोड़के, त्याग की मूर्ति बन जाते हो
कहने के लिए कोई भी, शब्द नहीं छोड़ जाए हो
ऐसी त्यागमय नारी की हम क्यों अवहेलना करते है?
सरेआम उसकी इज्जत की धज्जिया उड़ाते है
अपनी बहन की रक्षा के लिए, दूसरे की जान तक ले लेते हो
फिर दूसरेकी माँ-बहन के लिए, आप जानवर क्यों बन जाते हो?
वो ही नारी है,बस रूप अलग अलग है
कभी आपको उसमे दैवी नजर आती है
कभी आप माँ के दर्शन कर लेते हो
समय आने पर, आप घुटने भी टेक देते हो।
समय का तकाजा है
पर आप आमादा है
मान लेना और देना भी शिखो
अपने आप को अंतर्मन से खोजो।
Wow. Beautifully you have described different position of a woman in life
समय का तकाजा है पर आप आमादा है मान लेना और देना भी शिखो अपने आप को अंतर्मन से खोजो।
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S.r. Chandrslekha Nicely penned poem. 1 Manage Like · Reply · 1m