बाकी बस आहे भरना..Baki Bas Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

बाकी बस आहे भरना..Baki Bas

बाकी बस आहे भरना

ओ प्रिये
अब कैसे जीये
अब तक थे बोज ढोये
दिल से कभी ना भूल पाएं.

तुम रहो ना दुर हम से
हम डूब जायेंगे गम से
जुबान ये सब केह ना पाएगी
सहमी सहमी बस रेह जायेगी।

करो ना दूर से हवा में बातें
हम तो बस युही है गभराते
हुजूरी करते बस युही चलते चलते
बस बाकी भी चले जाएंगे युही जलते जलते।

एक ही था बस मेरा ठिकाना
समज बैठा में मेरा आशियाना
अब तू ही कर देना मना
काम रह जायेगा बाकी बस आहे भरना।

बाकी बस  आहे भरना..Baki Bas
Sunday, February 7, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 07 February 2016

एक ही था बस मेरा ठिकाना समज बैठा में मेरा आशियाना अब तू ही कर देना मना काम रह जायेगा बाकी बस आहे भरना।

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success