Bank Worker Ki Aawaaz Poem by Anjum Firdausi

Bank Worker Ki Aawaaz

(बैंक कर्मचारी का संदेश)

अश्क आँखों में है , दर्द सीने में है!

सारी मेहनत की खुशबु, पसीने में है!



सुबह से शाम, दिन भर सताया गया!

फिर भी मुझ को ही नीचा देखाया गया!


खून सूखे है, दिल है परेशां मेरा!
पैसा लेना और देना, है पेशा मेरा!


आम जनता की सेवा, मेरा कर्म है!

सब से ऊपर मगर, बस मेरा धर्म है!


वक़्त होते ही, दफ्तर पहुच जाता हूं!
रात आधी बिता कर, ही, घर आता हूं!

कर दी सरकार ने ऐसी ज़ालिम पहल!
नींद आती नहीं , दोस्तों आज कल!

आज खतरे में है, जान और माल सब!
बद से बद तर हुआ , बैंक का हाल अब!

चारों जानिब से हंगामा बरपा हुई!

मोदी सरकार! किस पे ये कृपा हुई!

रचना&लेख: -अंजुम फिरदौसी (ब्लॉक: -अलीनगर, दरभंगा, बिहार)

Thursday, January 5, 2017
Topic(s) of this poem: nazm
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Anjum Firdausi

Anjum Firdausi

Alinagar, Darbhanga
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