Tauba Tauba Kaisi Ye Sarkaar Hai Poem by Anjum Firdausi

Tauba Tauba Kaisi Ye Sarkaar Hai

तौबा , , , , तौबा ...कैसी ये सरकार है!

अपने घर में बना रही दिवार है!


जब से हुकूमत आई इसकी मरकज़ में,


पढ़ा लिखा अब लगता सब बेकार है!



तौबा तौबा ...................


दर्दए दिल लिखता हूं इसको याद रखो,

देश का राजा झूठा और मक्कार है!


तौबा तौबा...........

घर वापसी होगी इसकी होगी दिल्ली से,

इसी सज़ा का अब तो ये हक़दार है!



यू पि और पंजाब की जनता कहती है!

पक्की अबकी यारों इसकी हार है!

तौबा तौबा.............

नफरत का बानी ही ज़हर उगलता है!

हाकिम इसका घुन्डों का सरदार है!

कहां गया नजीब हमारा ला के दे!

सुन ले हुकूमत माँ का दिल बेज़ार है!

तौबा तौबा.............

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कहते हैं!

ज़ेहन से ये सरकार बड़ी बीमार है!

अहले इल्म उठो क़लम को हरकत दो!

प्यार की भूखी अंजुम ये सरकार है!

रचना & लेख: -

अंजुम फिरदौसी

ग्रा &पो: -अलीनगर, दरभंगा , बिहार

Thursday, January 5, 2017
Topic(s) of this poem: nazm
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Anjum Firdausi

Anjum Firdausi

Alinagar, Darbhanga
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