हमारे सपने हम संवारते रहते है Hamare Sapne Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

हमारे सपने हम संवारते रहते है Hamare Sapne

हमारे सपने हम संवारते रहते है

गुजर जाना राह से
नजर डालना ना भुलना
हमतो निगाहें जमाएं बैठे है
बस कहने दो हम आपको चाहते है।

पसंद हमें भी नहीं
पर बात बनती नहीं
कैसे कहें हम दिल की बात?
कतई ही नहीं कटती काली रात।

सूनापन हमें मार देगा
हमारे सपने बेकार कर देगा
हम प्यासे ही रह जायेगे
ओर आप रस्ते से गुजर जाएंगे।

कोई कहे ये हमें मंजूर नहीं
भली ही धरती बंजर सही
हम नए फूल खिलाएंगे
चारो और चिडीयोंको चेहकायेंगे।

धरती पर आप स्वर्ग को देखेंगे
हर चीज़ में आप हमें पाएंगे
ना कोई होगा हमें अलग करने वाला
बस कृपादृष्टि रखना अय ऊपरवाला।

हमें आपका रूखापन रास नहीं आएगा
बस एक ही आस को पूरी नहीं कर पायेगा
जोजन दूर तक हम आपको देखते रहते है
हमारे सपने हम संवारते रहते है।

हमारे सपने हम संवारते रहते है Hamare Sapne
Monday, August 29, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success