ज़माने से अलग
ज़माने से अलग नहीं हो सकते
पाँव आघे बढ़ने से नहीं रुकते
जीवन है तो सब का सामना करना पडेगा
जीवन का वजन खुद ही धोना पडेगा। ज़माने से अलग
जीवन में ऐसा कुछ नहीं होता!
जिसे हमें रोना आता
स्वजन के मर जाने से थोड़ा सा मन जरूर भर जाए
पर ऐसा नहीं होता की जीना ही दूभर हो जाए। ज़माने से अलग
जोश हो पर होश भी साथ में जरूर हो
नाम के साथ काम भी मशहूर हो
जीने का दुसरा नाम ही प्रगति है
अन्यथा बस बची हुई दुर्गति ही है। ज़माने से अलग
प्यार करना एक इबादत है
इंसान की कमजोरी ओर आदत भी है
पर उसके लिए अपने आपको खो देना कहाँ की अकलमंद बात है?
ये तो गधे को भी बुखार आ जाए ऐसा तुक है। ज़माने से अलग
प्यार करना एक इबादत है इंसान की कमजोरी ओर आदत भी है पर उसके लिए अपने आपको खो देना कहाँ की अकलमंद बात है? ये तो गधे को भी बुखार आ जाए ऐसा तुक है। ज़माने से अलग
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welcome sayda layla Unlike · Reply · 1 · Just now