कुरबान तेरे पर
शुक्रवार, २८ जनवरी २०२२
सब भूल भुलैया है, मेरी डूबती नैया है
उपरवाले की माया है, हम सबने अपनाया है
एक दूजेका सहारा लेकर आगे बढ़ाया है
मानवता का संदेशा लेकर, मानवधर्म निभाया है।
ज़िंदा रखने को, हमने मंत्र बनाया है
सच को अपनाकर, जीवन को सजाया है
जीव, सजीव को साथी बनाकर ख़ुशहालत से जीया है
सपनों को जीवन में लाकर खूब संजोया है।
सोचा ना पलभर, दिन में लेहनत किया है
भला, बुरा भुलाकर हाथ मिलाया है
दिल से किया पश्चाताप, गम को भुलाया है
अनजान लोगों को पास बैठाकर, मेहमान बनाया है।
पडोसी देशों के साथ, दोस्ती का हाथ भी बढ़ाया है
ना चाहते हुए भी, दुश्मनों का सफाया किया है
आगे भी हमारे मंसूबों का, आगाह कराया है
देश का जतन, जान देकर, निभाया है।
ना करे कोई हमपर नापाक नजर
ना रख पाए नापाक डगर
नही होने देंगे माँ भारती अपवित्र
सदा रहेगा मन, वचन पवित्र
हम न रहेंगे, कहानिया कहेगी
हमारे बलीदान को दोहराती रखेगी
शान रहेगी, आस्था भी रहेगी
देश तेरी कीर्ति, यशगाथा कहेगी।
हम हो जाए कुर्बान तेरेपर
नाम होगा हर जुबान पर
तू है तो हम है, जीवन होगा सफल
मिलता रहेगा सहारा और फल।
डॉ. हसमुख मेहता
साहित्यिकी
आभार: साजीला गर्ग
Shiju H. Pallithazheth Admin An outstanding and very beautifully crafted poem Hasmikh Mehta ✍🏻👌🏼👏🏻💖⭐️⭐️⭐️⭐️⭐️
Hasmikh Mehta Arnav Borah Superb poem sir ReplyShare1 d
Hasmikh Mehta Hasmikh Mehta Author tks n so kind of you Shiju H. Pallithazheth ReplyShare7 h
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Hasmikh Mehta welcome.. Raj Nandy