मन रहेगा शांत Man Rahegaa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मन रहेगा शांत Man Rahegaa

मन रहेगा शांत

जिसने सोची बचत
ओर कम की खपत
उसकी मदद में आएगी कुदरत
कोई नहीं कर पाएगा शरारत।

मन रहेगा शांत
अशांति का होगा अंत
सब जगह होगा लक्ष्मीजी का आगमन
रहेगा चमन, खीला हुआ रहेगा गुलशन।

जो चीज़ को हमारी संगत पसंद नहीं
जो हमारे साथ कभी रहेगी ही नहीं!
उसका विलाप हमें क्यों करना है?
ज्यादा संताप करके क्या साबीत करना है।

जो चीज़ को हमारी संगत पसंद नहीं
जो हमारे साथ कभी रहेगी ही नहीं!
उसका विलाप हमें क्यों करना है?
ज्यादा संताप करके क्या साबीत करना है।

मन शांत तो कलह की कोई जगह नहीं
झगड़ा ओर पंगा पास फटकेंगे ही नहीं
चेन ही चेन और धन की कोई कमी नहीं
इसलिए कहते है की बचत करो तो कोई हानि नहीं।

बचाया हुआ एक एक पैसा कई दिनों बाद दुगुना हो जाता है
ज्यादा कमाने की चिंता कम और ऐश्वर्या का मुकाम पक्का हो जाता है
जिसके मन में ना हो कोई फ़िक्र और ना ही मैली रमत
वो हमेशा रहेगा खुशमिजाज, शालीन करता रहेगा खिलोने से गम्मत

मिलना उतना ही है जो किस्मत में लिखा है
खोना उतना ही है जिसका मुकद्दर को मंजूर नहीं है
बस मस्त रहो और अच्छी आदत को ही डालो
खुशियां बहुत है अगलबगल उसे अपना ही बना डालो।

मन रहेगा शांत  Man Rahegaa
Wednesday, January 18, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 18 January 2017

Tribhovan Panchal Superb Sir Ji Nice Comments Unlike · Reply · 1 · 17 mins

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Mehta Hasmukh Amathalal 18 January 2017

welcome tribhovan panchal Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 18 January 2017

मिलना उतना ही है जो किस्मत में लिखा है खोना उतना ही है जिसका मुकद्दर को मंजूर नहीं है बस मस्त रहो और अच्छी आदत को ही डालो खुशियां बहुत है अगलबगल उसे अपना ही बना डालो।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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