नमी का एहसास आयेगा जरूर।
ना पता चला क्या है ये सफर
बस दिल चलते गए गुजर
हम ने भी ठानी की नहीं हटेंगे पीछे
लाये चेहरे पे मुस्कान और आंसू पोंछे।
धर्मसंकट जरूर था
पर विकत नहीं था
ये सफर मुझे ही तय करना था
जिंदगी में लय मुझे ही लाना था।‘'
जिंदगी हसीं होगी या बर्फीली
हरी रह पाएगी या पड जाएगी पीली
मैंने मौसम का मिझज देखा है
गुजरते गुजरते जरूर परखा है।
औेगा जीवन में कोई पड़ाव
तब होगा थोड़ा ठहराव
में सोचूंगी तब की क्या था माजरा
अभी तो ही जीवन मुश्किलों से भरा।
मौसम को सुहाना ही रहना है
पतझड़ को भी हमने अपनाना है
क्यों ना गिर जाए खूबसूरत फूल जमीं पर
आँखों में नमी का एहसास आयेगा जरूर।
मौसम को सुहाना ही रहना है पतझड़ को भी हमने अपनाना है क्यों ना गिर जाए खूबसूरत फूल जमीं पर आँखों में नमी का एहसास आयेगा जरूर।
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A beautifully envisioned meaningful and thought provoking poem. Thanks for sharing.10 points.