स्थान ले नहीं हो सकती
कैसे जाऊ, तेरे बिना
लागे मुझे जग, सूना सूना
लगता नहीं मोरा जिया
ऐसा जिया तो फिर क्या जिया?
तो जो भी हो, हमें मंजूर हो
मेरे चेहरे का हसीन नूर हो
कैसे बया करू, तेरे हुस्न की तारीफ़ करूँ?
बन सके तेरे मान में, कुछ हरफ पेश करू।
मिलना मिलाना कोई, संजोग होता है
मिलकर बिछड़ना, वियोग कहलाता है
में कैसे कह पाउँगा, मेरे दिल में क्या छिपा है?
बस एक छुपी हुई, मनकी पिपासा है।
असल दुनिया में, वैसे होता नहीं
सब आलम में हर कोई, बेहया होता नहीं
में कहाँ उलझ गया, मुझे मालूम नहीं?
कैसे जान पाउ, ऐसा इलम मालूम नहीं।
मन को जान लेना, तुम्ही दवा देना
मेरी हालत को दूर से पहचान लेना
हो सके तो मिलन को, हकीकत में पलट कर देना
रहेंगे साथ साथ जीवनभर, सचको फिर साबित कर देना।
यदि दिक्कत आ रही है घरवालों से
मिलाना होगा, कहना भी होगा दिलोंजान से
यु तो बिखर जाएगा, बसा हुआ आशियाना
करनी होगी कोशिश, दिल से कभी ना गभराना।
प्यार में असल या नक़ल नहीं होती
जो भी होती है बस हसीना अव्वल होती
जो भी भा गयी मनको, दूसरी कोई हो नहीं सकती
दिल के सिंहासन पर कोई और स्थान ले नहीं हो सकती
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