स्त्रियों की सुरक्षा.. Stri Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

स्त्रियों की सुरक्षा.. Stri

स्त्रियों की सुरक्षा

गुरुवार, १२ जुलाई २०१८

निर्भया
तुमने जान को गंवाया
दरिंगी के खातिर
हम निकले बदमाश और शातिर।

कितनी भी भर्तस्ना हम कर ले!
कितने ही वचन ले ले
हम उसे समाप्त नहीं कर सकते
कब किसी में शैतान प्रवेश कर ले, नहीं कह सकते।

हम सिर्फ क्षमा ही मांग सकते है
लोग दरिंगी की सीमा लांग लेते है
बाप बेटी का लिहाज नहीं करता
रिश्तेदार सम्बन्धो का हनन करते नहीं डरता।

सही मायनो में कलियुग हम में समा गया है
हमारे उसूलों को खोखला कर गया है
हमारी आँखों में पर्दा डाल गया है
इंसानी रिश्तों को शर्मसार कर गया है।

क्या देहांतदंड ही इसका इलाज है?
किसी को बेइज्जत करना जायज है?
"घृणास्पद काम करके मार देना " कितना उचित है
समाज में रहना है तो स्त्रियों की सुरक्षा हमारा जिम्मा है।

हसमुख अमथालाल मेहता

स्त्रियों की सुरक्षा.. Stri
Thursday, July 12, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

Tribhawan Kaul Bahut steek aur saarthak. Haardik Dhnyvaad aapka Hasmukh Mehta Ji rachna par aapki upstithi aur share karne ke liye. Sprem. :) 1 Manage Like · Reply · See Translation · 1h

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क्या देहांतदंड ही इसका इलाज है? किसी को बेइज्जत करना जायज है? घृणास्पद काम करके मार देना कितना उचित है समाज में रहना है तो स्त्रियों की सुरक्षा हमारा जिम्मा है। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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