वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी
कितने जोखिम हमने झेले कितने झेलेंगे अभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी.......
हममें वो शबाब है जो शराब में भी न थी कभी
हममें वो अश्क है जो गुलाब में भी न थी कभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी........
मैंने देखी हैं जमी पर सैकड़ो तन्हाइयाँ
मेरी जो तन्हाइयाँ थी मैने देखी न कभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी........
क्या जमाने ने दिया है कितने शबनम कितने शूल
कितनी हमारी चाहतें थी कितना पाया है अभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी.........
एक पुरवा रोशनी का एक पछुआं छांव का
एक कांटा बेवशी का चुभ गया है पांव में॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी
कितने जोखिम हमने झेले कितने झेलेंगे अभी॥
विवेक तिवारी
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