Vaqt Aane Do (वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी) Poem by Vivek Tiwari

Vaqt Aane Do (वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी)

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वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी
कितने जोखिम हमने झेले कितने झेलेंगे अभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी.......

हममें वो शबाब है जो शराब में भी न थी कभी
हममें वो अश्क है जो गुलाब में भी न थी कभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी........

मैंने देखी हैं जमी पर सैकड़ो तन्हाइयाँ
मेरी जो तन्हाइयाँ थी मैने देखी न कभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी........

क्या जमाने ने दिया है कितने शबनम कितने शूल
कितनी हमारी चाहतें थी कितना पाया है अभी॥
वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी.........

एक पुरवा रोशनी का एक पछुआं छांव का
एक कांटा बेवशी का चुभ गया है पांव में॥

वक्त आने दो बताएंगे तुम्हे ऐ जिन्दगी
कितने जोखिम हमने झेले कितने झेलेंगे अभी॥


विवेक तिवारी

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Gaura (R.S.) Pratapgarh
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