Voice For Unity Poem by Anjum Firdausi

Voice For Unity

अये वतन के पासबाॅ, अये हम वतन ।

दिल , जिगर है, जिस्मों जाॅ है ये चमन।

शक से मुझको देखना तु छोड़ दे।।
नफरतों से रिश्ता नाता तोड़ दे।।

प्यारो ऊल्फत की सदाऐं आम कर।।
आ गले मिल , साथ चल और नाम कर।।

है जरूरत हिन्द को तु ला अमन।।।
अये वतन के पासबाॅ, अये हम वतन।।

धर्म है इंसानियत के वासते ।।
खोल देती है सभी ये रास्ते।।।

ये सयासत बाॅट देती है हमें।।
मुझको मुस्लिम कहती है, हिन्दु तुम्हें।।

आ ज़रा अब साथ आ, इंसान बन।।।
अये वतन के पासबाॅ, अये हम वतन।।

रचना &लेख: -अंजुम फिरदौसी
Anjum Firdausi

(Block: -Alinagar, Darbhanga, Bihar)

Voice For Unity
Wednesday, January 18, 2017
Topic(s) of this poem: nazm
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Anjum Firdausi

Anjum Firdausi

Alinagar, Darbhanga
Close
Error Success