ये ख़ामोशी के अफ़साने।
किसी ने गीत नहीं गाया पर
दिल में गूंजने लगे सैकड़ों तराने;
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When the dawn arrives, riding the steed of hope
to inveigle us to the realm of exertion,
and the body proceeds quietly
from sloth to vigour;
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माना जीवन क्षणभंगुर है, (पर) सबमें अमरत्व का अंकुर है।
कहते हैं जिन्हें हम अमर यहाँ, है देह तो उनकी पंचभूत;
उनकी कर्म-कस्तूरी की महक से किन्तु, है हर मानस-चित्त अभिभूत।
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कोमल भावों की मृदु बदरी
जब संवेदी ह्रदय में उमड़ती है,
तब कविता कवि को गढ़ती है I
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यह जीवन भी एक कविता है, कभी मुक्त-छंद, कभी छंद-बन्द।
धरणी के आंचल में बहती कोमल भावों की सरिता है।
यह जीवन भी एक कविता है।
यह जीवन भी एक राग है. कभी उच्च-हृस्व, कभी स्वर मध्यम।
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सरस्वती तेरी जिह्वा पर, बाँहों में हनुमान सा बल,
पूर्णश्रेष्ठ, पार्थसारथी, परंतप श्रीकृष्ण सी बुद्धि प्रखर है,
तो तुझे किस बात का डर है?
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जब दिल में हो बसंत, तो क्यों न खुशियाँ हों अनंत?
हो माहौल में रार की गर्मी, या हो पतझड़ की हठधर्मी।
बहे जो मन में प्रेम की गंगा, हो कैसे मधुमास का अंत?
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कोई ले नहीं सकता अपने सर दूसरों की बलाएँ।
भुगतनी पड़ती है सबको क़यामत अपनी-अपनी।।
मुमकिन है मुलाकात हो खैर-ख्वाहों से राह-ए-मुकद्दर पर।
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महफ़िल वो सजा लूं जो हो रश्क-ए -ज़माना।
मुझको है इंतज़ार नायाब नज़्मात का।।
नज़्में वो कह डालूं जो रौशन करें हर बज़्म।
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