छोटी सी कविता सागर से Poem by Priya Guru

छोटी सी कविता सागर से

एक छोटी सी कविता सागर से बोली कुछ एसे
समंदर की लहरों में बेबाक दौड़ रहा था पगला
कभी गिरा कभी संभला, फिर गिरा फिर संभला
जब संभला तो वो उसको पहचान ना पायी
यूं वो जान को मान ना पाया
अब बताओ सागर यूं मिली वो कैसे, फिर मिली वो कैसे
सुनकर सागर मुस्काया, बोला पगली! मिली वो ऐसे मिली वो एसे

Wednesday, January 13, 2016
Topic(s) of this poem: love
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