Ghazal 119 By Maulana Jalaluddin Rumi
Translation by: M. Asim Nehal
मुझे नहीं चाहिए
एक एसा साथी जो
दुखी, बुरा और नाकारा हो
जो एक कब्र की तरह
निराशाजनक अँधेरा दे,
और कड़वा हो
एक प्रेमी दर्पण की तरह होता है
एक दोस्त, स्वादिष्ट केक की तरह
जो खर्च करने लायक नहीं
किसी और के साथ एक घंटे
एक साथी जो
स्वयं से प्यार करे
जिसमे पांच विलक्षण हो
पत्थर दिल
हर कदम पर अनिश्चिता
आलसी और उदासीन
एक जहरीला चेहरा रखता है
जितना अधिक ये साथ रहे
उतना कड़वा माहौल करे
बिलकुल एक सिरके की तरह
समय के साथ जो और कड़वा बने
बहुत कह दिया इस
इस खट्टे और कड़वे चेहरे पर
एक दिल जो तमन्ना से भरा हो
मिठास और मधुर हृदय में लिप्त
उसे खुद को बर्बाद नहीं करना चाहिए
इन बेस्वाद मामलों से
bohot khoobsurat translation... sach hai kissi ko aise saathi ki talab nahi jo zindagi main andhera bhar de. khoobsurat nazm jismain ik seekh chupi hai.10++++
A beautiful translation by Asim Nehal. एक दिल जो तमन्ना से भरा हो मिठास और मधुर हृदय में लिप्त उसे खुद को बर्बाद नहीं करना चाहिए इन बेस्वाद मामलों से.......................Nice thoughts.
Very well translated. Very close to original.