रोटी रोटी करता है हर गरीब का पेट
स्वाभिमान से नही भरता गरीब का पेट
ईमानदारी से नही भरता गरीब का पेट
सांतवना से नही भरता गरीब का पेट
एक रोटी मिल जाये अगर
पेट शायद उसका भर जाये
जीने की आस शायद
आज उसे फिर मिल जाये
पेट पर हाथ फेरता है
हर कोई खाने के बाद
गरीब पेट पकड कर सोता है
हर शाम ढल जाने के बाद
खा पी कर मस्त है
जनता हो नेता हो या अभिनेता
गरीब तो बस सोचता है
काश एक रोटी का इंतज़ाम कर लेता
चित्र मे दिखता है
लेखो मे नज़र आता है
कविता मे नज़र आता है
क्या गरीब का पेट इस से भर जाता है।
- - अज्ञात
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