जय नेताजी.................. जय नेताजी Poem by NADIR HASNAIN

जय नेताजी.................. जय नेताजी

जय नेताजी जय परधान उजली कुर्ती मुंह में पान
डट कर खाए शाही खाना भूक मरे मज़दूर किसान
जय नेताजी.................. जय नेताजी.......

ख़तरे में उद्योग जगत है डूबी अर्थवयवस्था
कैब एनआरसी गाए चाये में भटकाता है ध्यान
जय नेताजी........ जय नेताजी........

युवा तड़पे रोज़गार को खेती बिना किसान
महगाई की मार से तड़पे पूरा हिंदुस्तान
बड़ी बड़ी कंपनियां हैं कंगाली के चौराहे पर
निजीकरण की होड़ में होगई सरकारी नीलाम
जय नेताजी........ जय नेताजी........

काले धन को भूल के भैया चाय पकोड़ा बेचो
भ्रष्ट लुटेरा बदलके पार्टी पवित्र हुआ ये सोचो
बेटी सुरक्छा नौकरी शिक्छा बना चुनावी जुमला
धर्म को बांटे भर्मित करके बांटे संविधान
जय नेताजी........ जय नेताजी........

अंग्रेज़ों ने देश को लूटा वह तो थे प्रवासी
भारत माँ को लूटने वाला आज है देश का वासी
हिन्दुस्तानी माल खज़ाना पहुंचा स्विट्ज़रलैंड
हरी भरी ये धरती थी अब चटयल है मैदान
जय नेताजी........ जय नेताजी........
✍@Nadir Hasnain

Thursday, December 26, 2019
Topic(s) of this poem: sad,sadness
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