शिक्षा बड़ी उदार Poem by Sachin Brahmvanshi

शिक्षा बड़ी उदार

Rating: 5.0

घर-घर में जिसे मिला मान,
करती सबका है कल्याण;
जिसके बल पर चले घर-बार,
शिक्षा बड़ी उदार।

गांधी, नेहरू और कलाम,
इसकी बदौलत बने महान;
दूर करे अज्ञानी अंधकार,
शिक्षा बड़ी उदार।

दीन को दिलाती यह पहचान,
इसके आगे रंक-न-राजा;
सभी को देती मान समान,
तलवार से अधिक है इसमें धार,
शिक्षा बड़ी उदार।

हुए बड़े-बड़े अनुसंधान,
इसीसे निर्मित महान विज्ञान;
मूल है इसकी शिष्टाचार,
शिक्षा बड़ी उदार।

इसीसे होता भाषा-ज्ञान,
इससे बड़ा नहीं कोई दान;
लालसा जिसकी करे संसार,
शिक्षा बड़ी उदार।

शिक्षा बड़ी उदार
Tuesday, August 29, 2017
Topic(s) of this poem: education
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This poem depicts the worth of education.By reading it, hoping to receive a positive response from the readers.It will spread a an awareness among the people towards eduction.
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 31 August 2017

जीवन में शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित करने वाली इस रचना के लिए धन्यवाद, मित्र. यदि समाज व देश को विकसित देशों के मुकाबले में आगे ले जाना है तो यह जरुरी है कि सभी भारतवासियों को प्राथमिक तथा उच्च शिक्षा के पर्याप्त अवसर सुलभ कराये जाएँ.

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Sachin Brahmvanshi

Sachin Brahmvanshi

Jaunpur, Uttar Pradesh
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