Sachin Brahmvanshi

Sachin Brahmvanshi Poems

बहन-भाई की प्रीति है,
यह चली आ रही रीति है;
है अनुरागा यों सलोना बंधन,
लो पधारा पर्व ‘रक्षाबंधन'।
...

अब की बार होली में!

उल्हासपूर्ण सतरंग सहित,
भिगो देंगे सभी को रोली में,
...

एक पगली अनजानी-सी!

कॉलेज का वो पहला दिन, एक पल को आँखें चार हुईं,
थे अनजाने एक-दूजे से वो, फिर अनचाही तक्रार हुई,
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कुदरत का भी अजब दस्तूर है!
जिससे तमन्ना थी बेइंतेहा, रूबरू होने की,
वही सनम हमसे खफा और बहुत दूर है,
मिन्नतें की खुदा से जिसे पाने की, अपनी शरीक-ए-हयात बनाने की,
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ऐ मेरी हुस्न-ए-मल्लिका, मुझे तू उल्फ़त का जाम दे दे,
हसीन तो मिलते हैं कई राह-ए-ज़िंदगी में, मगर
तुझे ही चाहूँ उम्रभर मैं, ऐसा मुझे कोई पैगाम दे दे! !
...

ऐ मालिक, सिर्फ इतना-सा मुझपर तू करम दे,
मुझे सनम से प्यारा मेरा वतन कर दे! !

कर दूँ निछावर तन-मन-धन सब अपना,
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काश इस कदर न आँखें मिलाई होती मुझसे एक रोज,
तो तेरे पलभर के दीदार को तरसना छोड़ देता ये दिल!
काश न तेरे प्यार की खुशबू आई होती मेरी ओर,
तो खिली हुई बगिया-सा महकना छोड़ देता ये दिल! !
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घर-घर में जिसे मिला मान,
करती सबका है कल्याण;
जिसके बल पर चले घर-बार,
शिक्षा बड़ी उदार।
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छू लूँ गगन बिना लिए पर,
किसी का न हो मुझको डर;
मंजिल छोडू न भी मरकर,
है यही अभिलाष मेरा ।
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हुआ था एक बुद्धि-सम्राट,
कथा है जिसकी बहुत विराट;
कभी न भाया जिसे आराम,
उस कलाम को मेरा सलाम।
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छाई निशा घनेर,
हो गई है देर;
चंभित हुई अंबर को देख,
बोल उठी चम्पा भोली-
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हो गया है भोर,
वर्षा हुई घनघोर;
बाँधे प्रीति की डोर,
नाच रहा है मोर|
...

बरखा-सी इठलाती,
लोगों को हर्षाती;
सौम्यता भरी कलियों-सी,
घर पधारी सुनहरी परी|
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माई तू मेरा संसार,
मेरे आयुष्य का आधार;
न्योछावर किया मुझपर दुलार,
चुका न पाऊँ तेरा यह उधार।
...

दुनिया के रखवाले जिससे सभी को डर,
आया एक सवाली तेरे दर पर;
करूँ न कभी कोई दूसरी रज़ा,
ऐ खुदा, हो मेहरबाँ।
...

Sachin Brahmvanshi Biography

Sachin Brahmvanshi is a poet, author and a motivational speaker.He basically hails from Jaunpur, Uttar Pradesh.He is currently pursuing his graduation in Mumbai, Maharashtra.He writes poems, articles based on beloved feelings, social issues, occasional importance, etc.His poems, stories and articles get published in many magazines frequently. He is presently writing a book which will be published very soon.)

The Best Poem Of Sachin Brahmvanshi

रक्षाबंधन

बहन-भाई की प्रीति है,
यह चली आ रही रीति है;
है अनुरागा यों सलोना बंधन,
लो पधारा पर्व ‘रक्षाबंधन'।

त्योहार यह ठहरा प्रतीक-ए-अमन,
पवित्र ‘श्रावण' माह होता आगमन;
सर्वत्र परस्पर तिलक-चंदन,
जिसे दर्शाए ‘रक्षाबंधन'।

डोर यों तो कच्चे धागे का,
सुरक्षा-चिह्न आयुष्यभर का;
विनोदमय हुए सभी के मन,
आया खुशनुमा ‘रक्षाबंधन'।

इस रिश्ते का इतना मान,
खींच लाए यमलोक से प्राण;
नाता है नाजूक कलियों-सा,
जिसे खिलाए ‘रक्षाबंधन'।

एक उदाहरण गोविंद-द्रोपदी,
जिनकी मिसाल रही सदियों-सदी;
बहन करे भाई का वंदन,
एकत्र मनाएँ ‘रक्षाबंधन'।

Sachin Brahmvanshi Comments

Sachin Brahmvanshi Quotes

अदाएँ हैं कातिल, जुल्फ है नशीली, हुस्न है नमकीन, आँखें हों कोई अनसुलझी पहेली, तेरे बगैर हुई यह जिंदगी अधूरी, इस मरीज-ए-इश्क को तू ही एक दवा जरूरी।

हमारी दिलो-ख्वाहिस औरों की हसरत हुई, दिल जख्मी तब हुआ, जब हमने तो आशिकी की; पर मोहब्बत के बदले नसीब नफ़रत हुई।

तू ही है मौला, तू ही खुदा; कहाँ हुआ तू यों गुमशुदा। नैन देखे न दिखे तेरी सूरत, नूर और सादगी की है तू एक मूरत।। तू मिला तो रब मिला, जिंदगी ठहरी मुश्किलात-ए-सिलसिला। तू है तो हूँ मैं काबिल।तू न हो तो नहीं कुछ हासिल।।

Life is a huge tree, We are of its branches; Friendship is its fruit, Love is its divine root.

Love is like a jail, Where you seldom get a bail!

Sachin Brahmvanshi Popularity

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