कलाम को मेरा सलाम Poem by Sachin Brahmvanshi

कलाम को मेरा सलाम

Rating: 5.0

हुआ था एक बुद्धि-सम्राट,
कथा है जिसकी बहुत विराट;
कभी न भाया जिसे आराम,
उस कलाम को मेरा सलाम।

हिंद को किया परमाणु प्रदान,
वह था धरणी माँ का वरदान;
जिसने किए खोज तमाम,
उस कलाम को मेरा सलाम।

जो `मिसाइल मॅन´ कहलाया,
शास्त्र जगत में इतिहास बनाया;
जिसको प्यारी सारी आवाम,
उस कलाम को मेरा सलाम।

जिससे प्रेरित बूढ़े-जवान,
उर से करूँ उसका गुणगान;
चित्त के जिसके कोई न दाम,
उस कलाम को मेरा सलाम।

धन्य हुई माँ उसको पाकर,
कितनी होगी वह जननी महान;
जन्मा न फिर ऐसा मानव आम,
अब्दुल कलाम को मेरा सलाम।

कलाम को मेरा सलाम
Thursday, August 31, 2017
Topic(s) of this poem: inspirational
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 31 August 2017

डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम का व्यक्तित्व वाकई बहु आयामी एवम् विराट था. वह नौजवानों के लिए प्रेरणा पुंज थे. सामरिक सुरक्षा के क्षेत्र में उनके वैज्ञानिक योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. आपके साथ मैं भी यही कहूँगा- कलाम को मेरा सलाम. धन्यवाद, सचिन जी.

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Sachin Brahmvanshi

Sachin Brahmvanshi

Jaunpur, Uttar Pradesh
Close
Error Success