माई तू मेरा संसार Poem by Sachin Brahmvanshi

माई तू मेरा संसार

माई तू मेरा संसार,
मेरे आयुष्य का आधार;
न्योछावर किया मुझपर दुलार,
चुका न पाऊँ तेरा यह उधार।

बड़े नाज़ो से पोषित किया मुझको,
कितनी वेदना सहनी पड़ी तुझको;
कर न सकूँ तेरे त्याग का उद्गार,
चुका न पाऊँ तेरा यह उधार।

दुग्ध-सूरत में लहु पिलाया तूने,
महत्ता तेरी ईश्वर भी सुने;
तेरे हट-समक्ष यम बैठे हार,
मेरे खातिर छेड़ा विधाता से तक्रार,
चुका न पाऊँ तेरा यह उधार।

था मिट्टी-सा निराकार,
नवाजा तूने उचित आकार;
सत्कर्म होंगे किसी जन्म के,
जो मिला मुझे है तेरा प्यार;
चुका न पाऊँ तेरा यह उधार।

प्रतिमा है ममता की तू,
मुझपर खुदा का है उपकार;
‘अगले जनम मोहे तू ही मिलेयो',
आस करूँ यही बार-बार।

माई तू मेरा संसार
Tuesday, September 5, 2017
Topic(s) of this poem: mother and child
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Sachin Brahmvanshi

Sachin Brahmvanshi

Jaunpur, Uttar Pradesh
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