शायद इस बार हम स्वयं से लड़ रहे हैं. Poem by M. Asim Nehal

शायद इस बार हम स्वयं से लड़ रहे हैं.

Rating: 5.0

मेरा व्हाट्सएप संदेश बॉक्स COVID-19 संदेशों से भरा पड़ा है
और शायद इसलिए मेरा पेट भी निवारक पेय के साथ भर चूका है
और ये सब COVID-19 संक्रमण से बचने का सुझाव है
कुछ लोग कहते हैं कि शहद और नींबू के साथ गर्म पानी पिएं
और कुछ ने लौंग और अदरक के साथ गर्म पानी का सुझाव दिया है

डॉक्टरों का कहना है कि आप प्रतिरक्षा को बढ़ावा दें
विटामिन डी और सी लें, साबुन से हाथ धोएं
सैनिटाइजर का प्रयोग करें, मास्क लगाएं और सामाजिक दूरी बनाए रखें
सार्वजनिक स्थानों पर जाने से बचें, हाथ मिलाने से बचे
"ये करो और येनहीं " की सूची लगातार बढ़ रही है
कुछ ने नियमित व्यायाम और योग का सुझाव दिया
कुछ ने योगाऔर लंबी सासे लेने को कहा है
मन शरीर को निर्देश दे रहा है और शरीर उसका कहा मानता जा रहा है
जो हमने अपने जीवनकाल में कभी नहीं किया वह अब कोरोना के लिए कर रहे हैं

चतुर और बुद्धिमान, इसे एक अवसर के रूप में देख रहे हैं
भय को प्रज्वलित करना और अतिरिक्त आय उनका एक मात्रा उद्देश्य है
जैसे कि उत्पादन और बिक्री के आंकड़े
साबुन, सैनिटाइज़र, मास्क, मेडिसिन ने धूम मचा रखी है
मानव मस्तिष्क कभी भी लाभ उठाने का कोई अवसर नहीं चूकता

बीमा कंपनी मरे ख़ुशी के मोर नृत्य कर रही है
अधिक भय, अधिक पीड़ित अधिक व्यापार
लक्ष्य हासिल करना आसान हो गयाहै
उनके लिए जैसे बैठे बतख को मारना
क्या हम कोई लड़ाई लड़ रहे हैं या अभिशाप का शोषण कर रहे हैं?

यह आपको तय करना है कि आप Covid -19 के साथ क्या करना चाहते हैं
मेरा वृद्ध मन सब कुछ देख रहा है
दिल उनके निर्देशों को मानने में लगा हुआ है इंसानों का इस तरह पहले कभी कभी उलझा हुआ नहीं देखा
महामारी पहले भी आ चुकी है और कई शिखर भी हो चुकेहैं

शायद इस बार हम स्वयं से लड़ रहे हैं.

Sunday, August 2, 2020
Topic(s) of this poem: fear,health,life and death
COMMENTS OF THE POEM
Suzon Albert 02 August 2020

Well can only read Covid19. Seems good poem on covid19 subject oh the English version is fantastic.

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Sharad Bhatia 04 August 2020

बहुत खूब, शायद हम अपने आप से लड़ रहे हैं, और व्यापार करने वाले खूब व्यापार कर रहे हैं।। कह्ते हैं इसे खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी, शायद हमारे डर का फ़ायदा उठा रहे हैं, और अपना गल्ला यूँही भरते जा रहे हैं।।

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मानव मस्तिष्क कभी भी लाभ उठाने का कोई अवसर नहीं चूकता Since I do't have Hindi letters in my computer I am writing in Emglish. What you said is cent percent correct. Wherever there is a chance for exploitation nobody will let lose the opportunity.Man is selfish. Those who overcome the temptaion is human being....10

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Kumarmani Mahakul 02 August 2020

यह कविता बहुत ही उत्तेजक है। सामाजिक जागरूकता लाने के लिए यह बहुत अच्छी बात है। हमें सामाजिक दूरी बनाए रखनी होगी। हमें हाथ धोना होगा। हमें इस कोरोना वायरस को हराना है। इस वायरस के विश्व युद्ध में हमें जीतना चाहिए। यह महामारी बहुत खतरनाक है। ध्यान से हमें जीना है।..This poem is excellently penned.

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Kumarmani Mahakul 02 August 2020

आप बहुत सही हैं। इस बार लोग कोविद -19 से जान बचाने के लिए खुद लड़ रहे हैं। बहुत खतरा है सभी महसूस करते हैं। सभी घर के अंदर हैं और कई इम्युनिटी ड्रिंकिंग एनर्जी और इम्युनिटी बूस्टर बढ़ाने में व्यस्त हैं। विशेष हर्बल पेय और नियमित व्यायाम के माध्यम से प्रतिरक्षा का विकास निश्चित रूप से हमें विकसित करने में मदद करेगा। इनके साथ-साथ हमें जीवन को बचाने के लिए बहुत सावधान रहना होगा। रोकथाम आवश्यक है।...10

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Akhtar Jawad 02 August 2020

Yes, this time we are fighting with ourselves. A nice crtitical appreciation of war against corona.

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M. Asim Nehal

M. Asim Nehal

Nagpur
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