तेरी बेवफ़ाई की खुशबू तुम्हारे इशारे से अब आ ही गई है Poem by Vikas Kumar Giri

तेरी बेवफ़ाई की खुशबू तुम्हारे इशारे से अब आ ही गई है

दिल की बस यही तमन्ना थी, अब लब पर
आ ही गई है
होठ कुछ कहे या न कहे इशारे सब कुछ
समझा ही गई है

तुमने कहा था की सिर्फ ये दोस्त है मेरा
समंदर अब तो साहिल से टकरा ही गई है

मैं वादे पे कायम हूँ, तुझे वादों पे कायम रहना था
कहाँ गई वो कसमे जिसमें संग जीना और मरना था

तुम ये मत कहो कि अभी भी मै जान हूँ तेरी
तेरी बेवफ़ाई की खुशबू तुम्हारे इशारे से अब आ ही गई है

मत फरियाद करो मुझसे ना मुझे याद करो तुम
प्यार अगर फिर से हो गया तो मर ही जायेंगे हम
वफ़ा जिन्दा है कही तो उसे दफ़न कर देंगे हम

अगर फिर से जन्म लेंगे तो तुम्हारी कसम
प्यार कभी ना करेंगे हम

~विकास कुमार गिरि

Monday, October 15, 2018
Topic(s) of this poem: betrayer
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Unfaithful Girl
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Vikas Kumar Giri

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Laheriasarai, Darbhanga
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