कोरोना का कहर (Corona Ka Kahar) Poem by Vikas Kumar Giri

कोरोना का कहर (Corona Ka Kahar)

क्या लिखूं
ये बेवजह कोरोना का कहर लिखूं
या लाशों का शहर लिखूं
लोगो का तड़पना लिखूं या
दवाई के लिए लोगो का भटकना लिखूं या
ऑक्सीजन की कमी से लोगो का मरना लिखूं
क्या लिखूं क्या लिखूं

ये बारिश बन कर बीमारियों का
बरसना लिखूं
या बादलों का गरजना लिखूं
डर डर के जी रहे लोगो की
हरबराहट लिखूं या
कोरोना के डर से लोगो
की घबराहट लिखूं
क्या लिखूं क्या लिखूं

लाशों का सौदा लिखूं या
सुनसान पड़े घर का चिरौंदा लिखूं
सरकार की लाचारी लिखूं या
इंसान का पैसे कमाने की
मानसिक बीमारी लिखूं
गीता का श्लोक लिखूं या
प्रकृति का प्रकोप लिखूं
क्या लिखूं क्या लिखूं
~विकास कुमार गिरि

कोरोना का कहर (Corona Ka Kahar)
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Hindi Poem on Corona
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Vikas Kumar Giri

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Laheriasarai, Darbhanga
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