दिल्लगी दिल से हुई है// Hindi Poem by Aftab Alam

दिल्लगी दिल से हुई है// Hindi

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दिल्लगी दिल से हुई है, मेरी खता कुछ भी नहीं,
फिर सजा मुझको मिली क्यों? तू बता, क्या, ये है सही,
खेल आंखो का वो खेला, इसमें, मैं कहाँ और तू कहाँ,
प्यार करते दोनो जले, प्यार का ये कैसा जहाँ,

प्यार करने हम चले, वो जले नफरत की आग,
समाज के वो पैरोकार क्यों भूले, प्रेम त्याग?
आ लगाले अब गले, भूल कर शिकवा गिले,
बढ़ चुका है कारवाँ फिर ना जाने कब मिले

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Aftab Alam

Aftab Alam

RANCHI,
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