तुझे दर्पण बनाया मैं/ Hindi Poem by Aftab Alam

तुझे दर्पण बनाया मैं/ Hindi

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तुझे दिल में बसाया मैं, तुझे दर्पण बनाया मैं,
तेरी आंखो में झांकू मैं, सवारूं खुद को तुममें मैं,
मेरी अवारगी तेरी, तेरी झुलफों की खुशबू में,
मेरी ख्वाबों की चाहत में, तेरा चेहरा खलिश चेहरा,
मेरी धुंधली निगाहों में, मेरी खामोश आहों में,
इन सुनसान राहों में, तेरी यादों की पनाहों में,
ले चल तू संग अपने, ख्वाबों में बुनूं सपने,
यहां अब दम निकलता है, यहां अब गम ना मिलता है,
गए तुम छोड़ कर मुझको, भला किसके हवाले तुम,
ना तुम रहे अब तुम, रहा अब ना अब भी मैं
तुझे दिल में बसाया मैं, तुझे दर्पण बनाया मैं,
तेरी आंखो में झांकू मैं, सवारूं खुद को तुममें मैं,

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Aftab Alam

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RANCHI,
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