मैं कल्पना नहीं करता, देखता हूँ
जो देखता हूँ वही लिखता हूँ
ख्यालों में खोए रहना फक़त काम नहीं मेरा
भुखे पेट की कल्पना रोटी से बड़ी नहीं होती
देश कल्पनाओं से नहीं चलता
लोग यूँ ही नहीं मरते हैं
ना जाने लोग क्यों डरते हैं
मैं लोगों के डर लिखता हूँ
मैं कल्पना नहीं करता, देखता हूँ
जो देखता हूँ वही लिखता हूँ
मेरा देश कल्पना नहीं साक्षात है
मेरी जान है, मह्बूबा है, ईमान है
इस धरा के सारे लोग मेरे अपने हैं
इंनका अपमान ही देश का अपमान है
इन्हें अलग कर कोई देश चला नहीं सकता
हाँ यह सत्य है पहले भी जला है
अब भी वे कोई इसे जला सकता है
जब प्रेम छलक जाए, नहीं फिर ये रुकता है
खामोश लोगों का दिल ही देश प्रेम को धड़कता है
हमें कोई बाँट नहीं सकता ये मेरा विश्वास है
इस बिश्वास को मैं देखता हूँ, मह्सूस करता हूँ
बोलने से मैं नहीं डरता हूँ
मैं कल्पना नहीं करता, देखता हूँ
जो देखता हूँ वही लिखता हूँ
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If all countrymen sincerely put into practice all that you have envisaged in the poem, nobody can stop India from becoming a world power. I quote: इस धरा के सारे लोग मेरे अपने हैं / हमें कोई बाँट नहीं सकता ये मेरा विश्वास है.