ये कलियुग है,
सत्ता, पद और दौलत को ही अब है पूजा जाता,
ईमानदारी और नैतिक मूल्यों का मूल्य, तो अब शून्य है आंका जाता |
क्यों आज भी बच्चों को ये सिखाते हैं कि
सत्य और अहिंसा की होती हमेशा जीत है?
जबकि हमारा खुद का आचरण इसके विपरीत है |
सत्य और अहिंसा की राह पर चलनेवाला
आज खुद को बेहद अकेला और बेबस ही पाता है,
जीवन में कदम-कदम पर ठोकरें ही खाता है |
कहते हैं सब कि समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ
जंग का सिपाही यानि whistleblower बनो,
अपना कर्म करो और फल की चिंता ना करो,
अरे भाई ये कलियुग है
ये गीता का ज्ञान इस युग में कुछ काम नहीं आएगा,
Whistleblower तो सत्येंन्द्र दुबे और सेहला मसूद की ही गति पाएगा |
हर ओर फैला है अधर्मियों का राज,
और शहीदों के परिवार हैं दाने-दाने को मोहताज |
ये कलियुग है,
सब जानते हैं पाप और पुण्य का मर्म,
पर दिलों में बसता है आज अधर्म |
कर्म हों अच्छे तो मिलेगा स्वर्ग, वर्ना भोगना पड़ेगा नर्क,
अच्छे लोगों को भुलावा देने के लिए है ये तर्क |
चारों ओर गूंज रहा है हैवानियत का भयानक अट्टहास,
और इंसानियत दुबकी पड़ी है किसी कोने में सहमी और उदास |
बाट जोह रही हैं दीन-दुखियारों और बेबस-लाचारों की आंखें,
श्वेत अश्व पर होकर सवार और हाथ में लिये तलवार,
कब आयेगा कलियुग का वो कलि अवतार?
जो करेगा सत्ता और दौलत के नशे में चूर अधर्मियों का नाश,
और फिर से जगायेगा इंसानियत के प्रति सबका विश्वास |
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I would like to translate this poem
great still, this age of quarrel.