नामंशेष अस्तित्व का
गलियारों से एक ही आवाज उठ रही है
मानवता की गूंज धीरे धीरे क्यों लुप्त हो रही है।
देश के सन्मान की बाते तो सभी करते है
पर यह सब कहने के लिए सभा क्यों भरते है?
क्यों सब को चिल्ला चिल्लाकर कहना पड रहा है?
क्यों सब को वाक्युद्ध में उलझना पड रहा है?
अपने ही ईमान की रणभेरी क्यों बजानी पड रही है?
में नहीं जानता चापलूसी, पर उनको आसानी नहीं हो रही है।
जिसने गरीब के घर का भोजन नहीं किया उसे करना पड रहा है
जो कभी पैदल नहीं चला उसे सरे आम दौड़ना पड रहा है
मन में पूरा खौफ है 'अब की बार कोई धांधली नहीं चलेगी '
'जनता अब जाग चुकी है और पिछला हिसाब पूरा मांगेगी'
'अच्छा है अपना मनसूबा जाहिर करना और जनता के बीच रखना'
अपने हर लब्ज़ की याद दिलाना और फिर जनता को परखना
वो चाहे तो अपने सर पे बिठा सकती है
नहीं तो फिर घर का सीधा रास्ता भी नपा भी सकती है
जबान पे उनको ताला लगाना पडेगा
बकवास करनेका खामियाजा जरूर भुगतना पडेगा
सिखों का सरेआम कत्लेआम या फिर कही भी हो ज्यादती का दौर
'माफ़ी मांगने से काम नहीं चलेगा'रोकना पडेगा जबरजस्ती का खौफ
जनता का शब खुलेआम सड़क पर बेमतलब पड़ा है
गिद्ध चारो और मंडराते है और हर गिद्ध अपने हिस्से के लिए अडा है
'सालो से ये आदत उसने पाल रखी है' अब सिरदर्द बना हुआ है
'गरोबो का मसीहा नहीं' पर हमदर्द होने पर मजबूर हुआ है
इतने सारे ठग हमने कभी नहीं देखे
जो जेल में बैठे है फिर भी सपने नहीं छोड़ते
कितने नामर्द और संवेदनशील हम हो गए है
चोर और उचक्कों के भी मोहताज हो गए है।
आतंकवादी और मककार दोनों देश के दुश्मन
क्यों नहीं देते हम फांसी और करते अपमान?
क्यों न हो वो कोई भी जाती और विशेष का?
क्यों नहीं हम कर देते नामंशेष अस्तित्व का?
Shujat Ahmad likes this. Hasmukh Mehta welcome shujat Unlike · Reply · 1 · 3 secs
Taran Singh likes this. Hasmukh Mehta welcome 2 secs · Unlike · 1
Hasmukh Mehta welcomedryodh raj singh n suresh sutar 3 secs · Unlike · 1
Seen by 3 Sonu Gupta likes this. Hasmukh Mehta welcome 2 secs · Unlike · 1
nlike · 1 Hasmukh Mehta welcome gircharan kaur 3 secs · Unlike · 1
Manju Gupta SHANDAAR EVAM SASHAKT RACHNA BADHAYEE SHRI HASMUKH BHAI 9 hrs · Unlike · 1
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
welcome lavisha bhasin 15 mins · Unlike · 1