सफल होकर।safal hokar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सफल होकर।safal hokar

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सफल होकर।

हर पल हर घड़ी मोत का साया है
लेकिन कोन बनपाता हम साया है?
हर पल साथ साथ बिताना है
और फिर अपने आपमें भी जताना है।

सोचा है जीवनपथ निराला है
मंगलमय और सुहाना है
कहते है यहाँ हर डगरपर परिक्षा होती है
हरे बुरे कामके लिए शिक्शा होती है।

हम निभाएंगे दिए हुए वचन
कर्म से बंधे रखेंगे कथन
ना विचारो में भेद होगा
ना करनी में और कोई भेष होगा।

हर रात एक सुहानी सी सुहागरात होगी
लड़खड़ाना उठना हमारे लिए नयी बात होगी
ना हम किसमत को कोसेंगे
और नाही अपने आचरण को रोयेंगे।

समय बड़ा बलवान होता है
पर सच तो सच ही होता है
हम खुद उसकी मिसाल बनेंगे
जीवन को उतना ही सार्थक करेँगे।

हाथ पकड़कर अब साथ साथ चलना है
जीवन में कुछ करके दिखाना है
हमने भी कुछ सोच के रखा है
खुद की रक्षा खुद ही करना है।

अग्नि फेरे हमारे मिलन के साक्षी होंगे
अब के बाद हम एक दूसरे के साथी होंगे
जीवनपथ पर चलना सौभाग्य होगा
हर उजाले पर जीवन का उदय होगा

आपका भी आशीर्वाद मांगते है कमलो में झुककर
सांस भी रुक रही है थमथमकर
कैसे कट पायेगा जीवन का सफ़र?
हम जरूर दिखाएंगे सफल होकर।

Monday, November 24, 2014
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 30 November 2014

2 people like this. Hasmukh Mehta welcome suneel keel and shym sunder Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathalal 24 November 2014

welcome dr rajesh rawal Just now · Unlike · 1

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Rajnish Manga 24 November 2014

Each word of the poem emits a determination to pass every test and defeat the evil forces to fulfill the dream of a lifelong and blissful companionship. Nice poem, Hasmukhji.

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Mehta Hasmukh Amathalal 24 November 2014

सफल होकर। हर पल हर घड़ी मोत का साया है लेकिन कोन बनपाता हम साया है? हर पल साथ साथ बिताना है और फिर अपने आपमें भी जताना है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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