तन्हाई
1)
तन्हाई हमे ववत का मोल बताती हैं
जुदाई प्यार के दो बोल सिखाती हैं
प्यार और ववत अपनी अपनी जगह हैं
इनका मौल्य जान लो,
ववत में प्यार और प्यार को वक़्त
खुशियों से भरा ज़िंदगी दिला देती हैं!
2)
तन्हाई का आलम बड़ा अजीब होता हैं
भूले भटके सबकी याद दिला देता हैं
पुरानी यादें ताज़ा हो जाती हैं
रिश्तों के धागे दोबारा पिरो देता हैं!
ज़िंदगी
3)
ज़िंदगी के इस कष्मकश में
ना जाने बचपन कहा खो दिए हम,
मा का प्यार और उसका आचल क्या गया
सुकून की नींद ना जाने कब सोए हम!
4)
ज़िंदगी ने हमें गुब्बारा बना दिया हैं
कभी बहुत ऊँचा ले जाता हैं
कभी एकदम से नीचे गिरा देता हैं,
खुशी और दौलत की तलाश में
गुब्बारे में हवा भरते चले गये
इसमे अपने पीछे छूट गये
आज ना दौलत रहा ना अपने रहे!
ज़िंदगी अपनी रफ़्तार में चलती चली जाती है और इस रफ़्तार में कितना कुछ पीछे छूट जाता है, पता ही नहीं चलता. बहुत सुंदर कविता. धन्यवाद, काव्य जी. कविता की कुछ पंक्तियाँ उद्धरण के रूप में: ज़िंदगी ने हमें गुब्बारा बना दिया हैं / खुशी और दौलत की तलाश में / गुब्बारे में हवा भरते चले गये / इसमे अपने पीछे छूट गये / आज ना दौलत रहा ना अपने रहे!
we all have those feelings we just keep under control and we will be very okay
agree but expressing your feelings only lessens your burden of worry. Thanks for commenting.
A lovely feeling is expressed here relating loneliness and life, individually.
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I would like to translate this poem
nice lines 10++ तन्हाई का आलम बड़ा अजीब होता हैं भूले भटके सबकी याद दिला देता हैं पुरानी यादें ताज़ा हो जाती हैं रिश्तों के धागे दोबारा पिरो देता हैं!