NADIR HASNAIN Poems

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बिगुल बजा और ढोल नगारा
जमगया फिरसे यार अखाड़ा

लफ़्ज़ों के फिर तीर चलेंगे
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ना हिन्दू हूँ मैं ना मुस्लिम, सिख हूँ मैं ना ईसाई
दिल विचलित बेचैन है मेरा प्रश्न है कुछ सत्ता से भाई
मोहन, भीम, आज़ाद, भगत हूँ मैं हूँ बिस्मिल और कलाम
मेरे तनमन में है बसता पूरा पूरा हिन्दुस्तान
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23.

(कौन है वो)

नफ़रत के इस दौर के दर्शक हक़ या बातिल कौन है वो
राष्ट्र भक्त या आतंकी मासूम का क़ातिल कौन है वो
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24.
भारत का किसान हूँ

(भारत का किसान हूँ)

हरी भरी इस धरती का मैं सच्चा निगहबान हूँ
भारत का किसान हूँ मैं भारत का किसान हूँ
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ऐ ख़ुदा है कहाँ? सुन मेरी दास्ताँ
तड़प रही ये ज़मीं, रोरहा आसमां
नफ़रतों की भीड़ से तीर शमशीर से
लहू में तरबतर हुआ दिल, ज़ेहन जिस्म जां
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कोख ना उजाड़ मैया मैं ही तेरी जान हूँ
आन बाण शान मैं ही तेरा अभिमान हूँ

मैया मेरी मेरे बिना कैसे रहपाऐगी
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जय नेताजी जय परधान उजली कुर्ती मुंह में पान
डट कर खाए शाही खाना भूक मरे मज़दूर किसान
जय नेताजी.................. जय नेताजी.......
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ख़ाकी वर्दी वाले हैं हम ख़ाकी वर्दी वाले हैं
गांव शहर के रक्छक हैं इस देश के हम रखवाले हैं
ख़ाकी वर्दी वाले हैं हम...............
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मेरी फरयाद सुनो मेरी फरयाद सुनो
मैं भी इंसान हूँ मेरी फरयाद सुनो

आओ नज़दीक मेरे दिल की बातों को कहूँ
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धन दौलत ये ख़ुशी मोहब्बत प्यार मुबारक हो
जग मग रौशन दीपों का त्यौहार मुबारक हो
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