दादाजी को पोता प्यारा, मानो जग मे हो वो सबसे न्यारा|
दादाजी का बस स्टैंड पर सेब खिलाना, पोते की कहानियों मे उनका आना जाना|
मानो पृथ्वी से कहीं दूर, किसी और ही ग्रह मे रहते हों,
...
न जाने गुड़िया कब बड़ी हो गई...
एक नए परिवार को जोड़ने की कड़ी हो गई|
जिसके चहचाने से खिल उठता था मेरा आँगन,
उस से जगमगाता है अब किसी और का प्रांगण|
...
मैंने पूछा मन से ख़ुशी मिली या नहीं, अब तो कक्षा मे अव्वल जो आते हो?
मन बोला, अरे अभी कहाँ, बस बढ़िया से कॉलेज मे दाखिला हो जाये|
मैंने पूछा मन से ख़ुशी मिली या नहीं, अब तो माने हुए कॉलेज मे जो जाते हो?
...
सोच रही हूँ ऑंखें मूंदें, क्या बचपन फिर लौट सकेगा..
इस जीवन की पटरी पर, कब तक मस्तिष्क यूँ ही ईंधन जैसा फुकेगा|
बचपन से हैं सुनते आये, जो बीत गया सो बीत गया..
...
क्या देखा है तुमने कभी रेगिस्तान का चश्मा (mirage) ,
हाल ही मे देखा है मैंने उसे आँखों से ओझल होते हुए|
मानो ज़िन्दगी का पाठ, साक्षात ईश्वर तुम्हे बतलाने आये हों..
पर इंसान कहाँ इन इशारों को समझता है,
...