Mann Poem by Nisha Bala

Mann

मैंने पूछा मन से ख़ुशी मिली या नहीं, अब तो कक्षा मे अव्वल जो आते हो?
मन बोला, अरे अभी कहाँ, बस बढ़िया से कॉलेज मे दाखिला हो जाये|

मैंने पूछा मन से ख़ुशी मिली या नहीं, अब तो माने हुए कॉलेज मे जो जाते हो?
मन बोला, बस एक ही है परेशानी, जिस पर मेरा मन है अटका उसने मुझे दिया है फटका|

मैंने पूछा मन से ख़ुशी मिली या नहीं, अब तो तुम्हारी मनचाही लड़की से शादी जो हो रही है?
मन बोला, अरे अभी तो उलझनें शुरू हुई हैं, बस बढ़िया घर और गाड़ी ले लूँ?

मैंने पूछा मन से ख़ुशी मिली या नहीं, अब तो बड़े बंगले और गाड़ी मे जो घूमते हो?
मन बोला, अरे इतना आसान होता ख़ुशी मिलना तो क्या बात थी...
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प्रण करता हूँ, अब तुझसे कुछ न पूछूँगा, तेरे जवाबों से अपने प्राण न फूँकूँगा|
हे प्रभु कैसा इंसान बनाया तूने, सब प्राणियों मे सर्वश्रेष्ट है कहलाता, पर इसको तो मात्र खुश रहना भी नहीं आता...

Tuesday, November 11, 2014
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