Dadaji Poem by Nisha Bala

Dadaji

Rating: 5.0

दादाजी को पोता प्यारा, मानो जग मे हो वो सबसे न्यारा|

दादाजी का बस स्टैंड पर सेब खिलाना, पोते की कहानियों मे उनका आना जाना|
मानो पृथ्वी से कहीं दूर, किसी और ही ग्रह मे रहते हों,
जाने अनजाने अपने इस रिश्ते से, कितनी ही अनकही बातें कहते हों|
अदभुद इन दोनों का रिश्ता, विचित्र इनका प्यार..

दादाजी को पोता प्यारा, मानो जग मे हो वो सबसे न्यारा|

शब्दकोष मे ऐसी व्याख्या नहीं, जो इस स्नेह का वर्णन कर पाये|
लूट लो इस स्नेह को, जाने कब खज़ाना लुप्त हो जाये?

दादाजी को पोता प्यारा, मानो जग मे हो वो सबसे न्यारा|

Tuesday, November 18, 2014
Topic(s) of this poem: Love
COMMENTS OF THE POEM
Akhtar Jawad 18 November 2014

I also love my Grand Son in the same manner. A lovely poem..............10

2 0 Reply
Nisha 03 October 2018

Thanks a lot for these appreciative words...

0 0
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success