सुखी कौन...? Poem by Vikash Ranjan

सुखी कौन...?

Rating: 2.0

धनवान हो या निर्धन?
बताओ सुखी तुम कौन हो?

धनवानों को है लूट जाने की डर,
निर्धन को है भूखे प्राण टूट जाने की डर,
फिर भी हर कोई तुम्हें पाना चाहता है,
जबकि पता है सबको तुम्हें पाने की कठिन है डगर |
कुछ कहते नहीं क्यों तुम मौन हो?
बताओ सुखी तुम कौन हो?

कई धनवान तुम्हें पाने की चाह में लूट जाते हैं,
सैकड़ों निर्धन फिर भी तुम्हें पाना चाहते हैं,
ना धनवान के घर हो तुम, ना निर्धन के घर,
सभी परेशान हैं तुमको बस में किया जाए कैसे मगर,
कुछ कहते नहीं क्यों तुम मौन हो?
बताओ सुखी तुम कौन हो?

धनवान भी सुख की चाहत में बैठे हैं,
निर्धन भी दुख की आहत में बैठे हैं,
धनवानों की चाहत न होती पूरी है,
निर्धनों की आश भी जानें क्यों अधूरी है,
कुछ कहते नहीं क्यों तुम मौन हो?
बताओ सुखी तुम कौन हो?

धनवान हो या निर्धन?
बताओ सुखी तुम कौन हो?

Thursday, October 20, 2016
Topic(s) of this poem: facts,life,poem
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