हर घड़ी हर-पल मुझे दिल में रखती है
मैं ख़ुश रहूँ सदा यही दुआ हर-बार करती है
मेरी हर भूल को भी जाने क्यूँ माफ करती है
बस माँ ही है जो ता-उम्र प्यार करती है...
देखूँ जो ख़्वाब कोई सपना साकार करती है
सपना हो पूरा, मिन्नत बेशुमार करती है
नई सृष्टि की रचना का जो अधिकार रखती है
बस माँ ही है जो ता-उम्र प्यार करती है...
कदम बढ़ाने में मदद बार-बार करती है
हार जाऊँ जो कभी तो उम्मीदें नई उद्गार करती है
खुद रो भी जाए पर हमें ना रोने देती है
बस माँ ही है जो ता-उम्र प्यार करती है...
दूर हो कर भी हमेसा पास रहती है
दिल में मेरे जो बन कर खास रहती है
जिनसे मिलकर भी मिलन की आस रहती है
बस माँ ही है जो ता-उम्र प्यार करती है...
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