Vikash Ranjan Poems

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1.
मोहब्बत थी मुकम्मल कल...

मोहब्बत थी मुकम्मल कल, आज हर तरफ वीराना है
यहाँ से दूर जाना है... यहाँ से दूर जाना है...

सफ़र ही है सफ़र अब तो भले हमसफ़र साथ ना हो,
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2.
कितना मुश्किल होता है...

कितना मुश्किल होता है, ऐसे तन्हा जीने में।
एक दर्द है मेरे सीने में, एक दर्द है तेरे सीने में।

कभी नींद नही आती है, तो कभी मुकम्मल नही हो पाती है।
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3.
जब अपने रूठ जाते हैं...

जब दिन बुरे दिन हो ज़िंदगी के हर पल बूरा होता है,
जब अपने रूठ जाते हैं कोई ना आसरा होता है,
हर कोई चाहता है की तुम टूटकर बिखर जाओ,
कोई नही यहा किसी का सहारा होता है |
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4.
सुखी कौन...?

धनवान हो या निर्धन?
बताओ सुखी तुम कौन हो?

धनवानों को है लूट जाने की डर,
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5.
यादों में...माँ

हर दुआ से बढ़कर 'मेरी माँ' तेरी दुआ है,

हर वक़्त तेरा प्यार मिला जबसे जनम हुआ है |
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6.
बे-मौसम बरसात...

बे-मौसम बरसात हुई, भीग गया मेरा तन-मन,
बारिश की बूंदों ने कर गया घायल मेरा मन |
ऐसा तो पहले भी हुआ था, पर था कुछ एहसास नया,
कतरा-कतरा जब बारिश की, मेरे मन को छूने लगा,
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7.
बस माँ ही है...

हर घड़ी हर-पल मुझे दिल में रखती है
मैं ख़ुश रहूँ सदा यही दुआ हर-बार करती है
मेरी हर भूल को भी जाने क्यूँ माफ करती है
बस माँ ही है जो ता-उम्र प्यार करती है...
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8.
चुटकी भर सिंदूर...

जबसे भरा पिया मांग तूने,
सपने सुहाने हमने देखा |
चुटकी भर सिंदूर से देखो,
बदल गयी मेरी भाग्य की रेखा |
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