दिल नशीं दिलरुबा हूर है बा ख़ुदा
महजबीं माहे रू मरहबा मरहबा
गुलबदन जाँनशीं मोहिनी गुफ़्तोगु
ऐसी हुस्नो अदा मेरी जाँ है फ़िदा
दिल नशीं दिलरुबा हूर है बा ख़ुदा
है वोह खिलता कँवल मेरी जाने ग़ज़ल
मैं हूँ शाहेजहाँ वोह मुमताज़ महल
नैन हैं नरगिसी ज़ुल्फ़ काली घटा
मुश्क ओ अम्बर से तर है वोह बादे सबा
दिल नशीं दिलरुबा हूर है बा ख़ुदा
मेरे दिल का सोरुर मेरी शान ओ ग़रूर
बा अदब बा हया है मेरी कोहेनूर
मौज खाती लहर चौंधवीं का क़मर
उसकी हर एक अदा सबसे बिलकुल जुदा
दिल नशीं दिलरुबा हूर है बा ख़ुदा
दूर उनसे रहूँ मैं गवारा नहीं
कोई दूजा ये दिल का सहारा नहीं
उनसे होकर जुदा मैं तो मरजाऊँगा
कह के दुनियां से ये अलविदा अलविदा
दिल नशीं दिलरुबा हूर है बा ख़ुदा
By: नादिर हसनैन
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