खोल दिया दरवाज़ा दिल का आजा जाने जाना Poem by NADIR HASNAIN

खोल दिया दरवाज़ा दिल का आजा जाने जाना

खोल दिया दरवाज़ा दिल का आजा जाने जाना
यूँ तो देखे लाख हसीना मगर कोई तुझसा ना
होजाएं दीवाने लड़के जिधर से भी तू जाए
मटक मटक के चलना तेरा दिल को मेरे भाए
देख कर तुझको सारे लड़के गाते हैं ये गाना
खोल दिया दरवाज़ा दिल का आजा जाने जाना

होंटों से है जानम तेरे शहद की बारिश बरसे
लेजाऊंगा एक दिन मैं तो तुझको तेरे घर से
आँख शराबी गाल गुलाबी करदेती है घायल
दिल के टुकड़े होजाते हैं बजे जो तेरी पायल
रहेगा कब तक जारी बोलो क़हर ये तेरा ढाना
खोल दिया दरवाज़ा दिल का आजा जाने जाना

शोला उगले जिस्म तेरा ये कोई बच ना पाए
जल जाए हर कोई वोह जो पास में तेरे जाए
फड़क फड़क जो क़ातिल तेरी आँख नशीली फड़के
होजाते हैं पागल देखो हर दीवाने लड़के
तड़प तड़प के मर ना जाए ये पागल दीवाना
खोल दिया दरवाज़ा दिल का आजा जाने जाना

By: नादिर हसनैन

Thursday, February 16, 2017
Topic(s) of this poem: song
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success