बचपन Poem by Akash solanki

बचपन

Rating: 5.0

बचपन के दिन कभी वापस नही आते
हम बच्चे कभी रोते कभी गाते,
ओर बडो का क्या
वे गलती कर कर के सिख जाते ।

जिसने बचपन को मजे में जिया
उसने स्कूल होमवर्क कभी नही किया,
कभी खुद सीखते कभी दूसरों को सिखाते
कितना भी पैसा खर्च कर लो यारो बचपन क दिन कभी वापस नहीं आते ।।

कभी किसी को दुखी किया
ओर अपना आधा बचपन दर्द में जिया,
बचपन में लाखो जिम्मेदारियां नहीं होती
अपनी आधी नींदे सपनो में होती.

लाखो उम्मीदें माता पिता की होती हमारे साथ है
बचपन बिता सपनो में वाह वाह क्या बात हैं,
कुछ बच्चे बनते है माता पिता का सहारा
बहुत सुन्दर होता है देखने में वो नजारा ।

ये बचपन है अरमानो का
हम बच्चों की फरमानो का,
काश बडे हम बच्चो से कुछ सिख पाते
बचपन के दिन कभी वापस नही आते ।

कभी रोते कभी गाते
कभी दोस्तों को रुलाते,
फिर उन्हे ही मनाते
बचपन के दिन कभी वापस नहीं ।

याद आयेगी बचपन की प्यारी सी यादे
पापा से की हुई फरयादे
मम्मी की मार
इन्ही के बीच में दादी का दुलार ।

हम बच्चे कभी रोते कभी गाते
बचपन के दिन कभी वापस नहीं आते,
और जो इन्हे याद करते वो रोते नज़र आते
मगर बचपन के दिन कभी वापस नहीं आते ।।

बचपन
Monday, February 15, 2016
Topic(s) of this poem: poem
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
बचपन की यादे जिन्हे हर कोई सहज कर अपने पास रखना चाहता है, और मैं भी अपने इन प्यारे दिनो को याद रखना तो चाहता ही हूँ ओर साथ हीआप सभी को भी आपके बचपन में ले जाना चाहता हूँ ।।
COMMENTS OF THE POEM
Jhunuta 17 April 2019

Good job akash. We need more poems from you ........😊😊😊

1 0 Reply
Jaydeep patil 30 August 2018

Kya khub likha he mere दोस्त। Mere pass sabdh nhi taarif ke liye

2 0 Reply
Jazib Kamalvi 23 July 2018

Bahut khoob. Akash solanki. You may like to read my poem, Love And Iust. Thank you.

2 0 Reply
Souren Mondal 15 February 2016

'hum bacche kabhiu rote kabhi gaate, bachpan ke din kabhi wapas nahi aate.' Bohut hi khoobsurat kavita hai Akash. Sachme bachpan ke din kavi wapas nahi aate... Sukhriya isse humse baat ne ke liye - :)

3 0 Reply
Rajnish Manga 15 February 2016

सच कहा आपने. बचपन के वो मजेदार दिन कभी वापस लौट कर नहीं आते. धन्यवाद, मित्र. ye bachpan he aarmano ka, hum baccho ki farmano ka,

3 0 Reply
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