गज़ल Poem by Akash solanki

गज़ल

Rating: 5.0

बे वक़्त वो खत हमें जमाने से मिले
वो खुशी कहाँ जो तेरे मुस्कुराने से मिले ।

सरे राह दोस्त भी टकराने से मिले
तेरी राह कुछ और थी ओर हम जमाने से जा मिले ।

मौसम कुुछ ओर था फुल गुलमोहर क खिले
बिछ्डे हुये यार आज टकराने से मिले ।

ना मुनासिब याद तेरी उन ठिकानों से मिले
वो दर्द तेरे प्यार का सर झुकने से मिले ।

वो खुशी जो मुझे तेरे साथ वक़्त बिताने से मिले
वो खुशियाँ कहाँ जो तेरे साथ मुस्कुराने से मिले ।।

Tuesday, July 24, 2018
Topic(s) of this poem: heartbroken
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 25 July 2018

प्रेम की भावना को समर्पित एक खुबसूरत ग़ज़ल. खूब लिखते रहिये. धन्यवाद.

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