बे वक़्त वो खत हमें जमाने से मिले
वो खुशी कहाँ जो तेरे मुस्कुराने से मिले ।
सरे राह दोस्त भी टकराने से मिले
तेरी राह कुछ और थी ओर हम जमाने से जा मिले ।
मौसम कुुछ ओर था फुल गुलमोहर क खिले
बिछ्डे हुये यार आज टकराने से मिले ।
ना मुनासिब याद तेरी उन ठिकानों से मिले
वो दर्द तेरे प्यार का सर झुकने से मिले ।
वो खुशी जो मुझे तेरे साथ वक़्त बिताने से मिले
वो खुशियाँ कहाँ जो तेरे साथ मुस्कुराने से मिले ।।
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
प्रेम की भावना को समर्पित एक खुबसूरत ग़ज़ल. खूब लिखते रहिये. धन्यवाद.